अक़ीदा के लाभ एवं प्रतिकार | जानने अल्लाह

अक़ीदा के लाभ एवं प्रतिकार


मुह़म्मद बिन सालेह अल-उसैमीन

इन महान नियमों पर आधारित यह उच्च अक़ीदा अपने मानने वालों के लिए अति श्रेष्ठ प्रतिफल एवं परिणामों का वाहक है।

अल्लाह तआला पर ईमान के लाभ एवं प्रतिकारः

अल्लाह तआला की ज़ात तथा उसके नामों और गुणों पर ईमान से बन्दे के दिलों में उसकी मुह़ब्बत एवं उसका सम्मान उत्पन्न होता है, जिसके परिणाम स्वरूप वह उसके आदेशों के पालन के लिए तैयार रहता है तथा निषिध्द चीज़ों से बचने लगता है। अल्लाह तआला के आदेशों के पालन तथा निषिध्द कार्यों से बचे रहने में व्यक्ति एवं समाज के लोक-परलोक का पूर्ण कल्याण है।

“जो पुण्य का कार्य करे, नर हो अथवा नारी, और वह ईमान वाला हो, तो हम उसे निःसंदेह सर्वोत्तम जीवन प्रदान करेंगे तथा उनके पुण्य के कार्यों का उत्तम बदला भी अवश्य देंगे।”

सूरह अन्-नह़्लः 97

फ़रिश्तों पर ईमान के लाभ एवं प्रतिकारः

1- उनके स्रष्टा की महानता, शक्ति एवं अधिपत्य का ज्ञान।

2-अल्लाह तआला की अपने बन्दों के साथ विशेष कृपा पर उसका शुक्र अदा करना। क्योंकि अल्लाह ने कुछ फ़रिश्तों को बन्दों के साथ लगा रखा है, जो उनकी रक्षा करने तथा उनके कर्मों को लिखने आदि कार्यों में व्यस्त रहते हैं।

3-फ़रिश्तों से मुह़ब्बत करना, इस बिना पर कि वह यथोचित रूप से अल्लाह की उपासना करते हैं तथा मोमिनों के लिए इस्तिग़्फ़ार (क्षमा याचना) करते हैं

किताबों पर ईमान के लाभ एवं प्रतिकारः

1-सृष्टि पर अल्लाह तआला की कृपा एवं मेहरबानी का ज्ञान। क्योंकि उसने हर क़ौम के लिए वह किताब उतारी, जो उन्हें सत्य मार्ग की ओर अग्रसर करती है।

2-अल्लाह तआला की ह़िक्मत का ज़ाहिर होना। क्योंकि उसने इन किताबों में हर उम्मत के लिए वह शरीअत निर्धारित की, जो उनके लिए मुनासिब थी। इन किताबों में अन्तिम किताब पवित्र क़ुर्आन है, जो क़यामत तक तमाम सृष्टि के लिए प्रत्येक युग तथा प्रत्येक स्थान में मुनासिब है।

3-इस पर अल्लाह तआला की नेमत का शुक्र अदा करना।

रसूलों पर ईमान के लाभ एवं प्रतिकार

1-अपनी सृष्टि पर, अल्लाह की कृपा एवं दया का ज्ञान। क्योंकि उसने इन रसूलों को उनके पास उनके मार्गदर्शन तथा निर्देशन के लिए भेजा है

2-अल्लाह तआला की इस महा कृपा पर उसका आभार व्यक्त करना

3-रसूलों से मुह़ब्बत, उनका श्रध्दा और उनकी ऐसी प्रशंसा करना, जिसके वह योग्य हैं। क्योंकि वह अल्लाह के रसूल और उसके ख़ालिस बन्दे हैं। उन्होंने अल्लाह तआला की इबादत करने, उसके संदेश को पहुँचाने और उसके बन्दों के शुभचिन्तन के कर्तव्य को बख़ूबी निभाया तथा दावत के रास्ते में आने वाले दुखों एवं कष्टों पर धैर्य का प्रदर्शन किया

आख़िरत पर ईमान के लाभ एवं प्रतिकार

1- उस दिन के प्रतिदान की उम्मीद रखते हुए पूरे मन से अल्लाह तआला की आज्ञापालन करना एवं उस दिन की सज़ा से डरते हुए उसकी अवज्ञा से दूर रहना।

2-यह मोमिन के लिए, दुनिया की उन नेमतों एवं माल-अस्बाब से सांत्वना का कारण है, जो उसे प्राप्त नहीं हो पीतीं। क्योंकि उसे परलोकिक नेमतों तथा प्रतिदानों की आशा रहती है।

भाग्य पर ईमान के लाभ एवं प्रतिकार

1-साधनों को अख़्तियार करते समय अल्लाह तआला पर भरोसा करना। क्योंकि साधन तथा परिणाम दोनों अल्लाह तआला के फ़ैसले तथा उसकी इच्छा पर आश्रित हैं।

2-आत्मा की राह़त तथा दिल की शान्ति। क्योंकि बन्दा जब जान ले कि यह अल्लाह तआला के फ़ैसले से हुआ है तथा अप्रिय विषय निश्चय संघटित होने वाले हैं, तब आत्मा को राह़त तथा दिल को शान्ति मिल जाती है एवं वह प्रभु के फैसले से संतुष्ट हो जाता है। जो व्यक्ति भाग्य पर ईमान लाता है उससे बढ़कर सुखप्रद जीवन तथा सुकून एवं चैन किसी को प्राप्त नहीं होता।

3-उद्देश्य प्राप्त होने पर आत्मगर्व से बचाव। क्योंकि इसकी प्राप्ति अल्लाह तआला की ओर से नेमत है, जिसे उसने सफलता तथा कल्याण के साधनों में से बनाया है। अतः इस पर अल्लाह का शुक्र बजा लाता है एवं गर्व से परहेज़ करता है।

4-उद्देश्य के फ़ौत होने या अप्रिय वस्तु के सामने आने पर बेचैनी से छुटकारा। क्योंकि यह उस अल्लाह का निर्णय है, जो आकाशों एवं धरती का स्वामी है तथा यह हर अवस्था में होकर रहेगा। अतः वह इस पर सब्र करता है एवं नेकी की उम्मीद रखता है। अल्लाह तआला इसी ओर संकेत करते हुए फ़रमाता हैः

“न कोई कठिनाई (संकट) संसार में आती है न (ख़ास) तुम्हारी जानों में, मगर इससे पूर्व कि हम उसको पैदा करें, वह एक ख़ास किताब में लिखी हुई है। निःसंदेह यह (कार्य) अल्लाह पर (बिल्कुल) आसान है। ताकि अपने से छिन जाने वाली वस्तु पर दुखी न हो जाया करो, न प्रदान की हुई वस्तु पर गर्व करने लगो, तथा गर्व करने वाले अहंकारियों को अल्लाह पसंद नहीं फ़रमाता।”

सूरह अल्-ह़दीदः 22-23

अंत में हम अल्लाह तआला से दुआ करते हैं कि वह हमें इस अक़ीदे पर दृढ़ प्रतिज्ञा वाला बनाये रखे,इससे लाभान्वित होने की तौफ़ीक़ अता करे, अपने अनुकंपाओं से सम्मानित करे, हिदायत के बाद हमारे दिलों को टेढ़ा न करे और अपने पास से हमें कृपा प्रदान करे। निःसंदेह वह परम दाता है। सारी प्रशंसा जगत के प्रभु अल्लाह के लिए है।

अल्लाह तआला की कृपा नाज़िल हो हमारे नबी मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम, आपके परिवार-परिजन, आपके अस्ह़ाब (साथियों) और भलाई के साथ आपका अनुसरण करने वालों पर।


Previous article

Related Articles with अक़ीदा के लाभ एवं प्रतिकार

  • रसूलों पर ईमान

    मुह़म्मद बिन सालेह अल-उसैमीन

    हमारा ईमान है कि अल्लाह तआला ने अपनी सृष्टि की ओर रसूलों को भेजा। “शुभसूचक एवं सचेतकर्ता रसूल बनाकर भेजा, ताकि

    12/04/2018 5055
  • इसलाम में इबादत की शर्तें -2

    Site Team

    दूसरी शर्तः यह है कि इबादत वर्ग एवं जाति के अंदर शरीअत के अनुकूल हो, जैसे कि कोई मनुष्य घोड़े की कुर्बानी करे, यदि

    14/03/2013 2302
  • इसलाम में इबादत की शर्तें

    Site Team

    इसलाम में सही इबादत की शर्तें क्या हैं ? हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान  केवल अल्लाह के लिए योग्य

    25/07/2013 429
जानने अल्लाहIt's a beautiful day